खुसी रहे न ये, ये ग़म भी न रहें;
ये सांस, ये नब्ज़, ये दम भी न रहें,
ऐ मेरे दोस्त मेरे साथ जरा आहिश्ता चल;
क्या पता की अगले मोड़ तक हम भी न रहें.
ये सांस, ये नब्ज़, ये दम भी न रहें,
ऐ मेरे दोस्त मेरे साथ जरा आहिश्ता चल;
क्या पता की अगले मोड़ तक हम भी न रहें.
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